-: डरना मना है :-
( बिक्रमजीत सिंघ "जीत" sethigem@yahoo.com )
छाये हों संकट के बादल या समय बड़ा दुखदायी
उलझन दुबिधा और विपता में बुद्धि हो पथराई
हिम्मत ले बटोर ...... डरना मना है
करले मन कठोर ...... डरना मन है
मौत है प्रबल अटल्ल हम सब को इक दिन मरना
सुहाने इस जीवन में हरदम रंग खुशियों के भरना
जी ले तू हर पल ....... डरना मना है
पल्ले बांध यह चल .... डरना मना है
ख़तरा सीमा पार का हो या हो अशांती घर में
भृष्टाचार व् लूट तस्करी सब बैठी जनता डर में
पकड़ ले तू तलवार .... डरना मना है
बन जा पहरेदार .... .... डरना मना है
मोटर रेल विमान व् कश्ती साधन यह सफर के
रिक्शे और दुपहिये भी तो खतरे हैं पल पल के
हो जा तू सवार ....... डरना मना है
हिम्मत तू न हार ......डरना मना है
पीड़ा ताप व् रोग शारीरक यह सब आते जाते हैं
दुःख सुख जीवन के दो पहिये गुरु हमें समझाते हैं
करले तू उपचार .... .....डरना मना है
बात ये मन में धार ....डरना मना है
निर्बल को जब कोई सताए या छीने धन पराये को
कर मदद तू उसकी तत्पर सबक सिखा ज़ालिम को
बन जा तू बलवान ..... डरना मना है
हो जा सावधान ........ डरना मना है
अबला कोई चीख पुकारे पाप किसी पापी का जागे
रक्षा परउपकार के हेतु हो जा खड़ा तू सबसे आगे
पापी का कर संघार ...... डरना मना है
रह हरदम तू तैयार ...... डरना मना है
कांटो भरी राह है तेरी पर चिंता हरगिज़ न कर तू
संकटमई सफर हो चाहे मंजिल फिरभी करले तय तू
कभी न तू रुक जाना ..... डरना मना है
"जीत" तू चलते जाना ..... डरना मना है
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