Wednesday, 27 April 2011

*** अनोखा माया जाल ***




प्रिय मित्रो .....

पेश कर रहा हूँ मेरी पंजाबी कविता

"अनोखा माया-जाल"  

का हिंदी रूपांतर ....

आशा है आप  सब  को कविता ज़रूर पसंद आएगी  ....

धन्यवाद .............


*** अनोखा माया जाल ***
( बिक्रमजीत सिंघ "जीत"  sethigem@yahoo.com )


काम क्रोध अहँम लोभ मोह


प्राणी इनसे दूर तू रहनां
अपना मूल न कभी भूलनां
चाहे व्यस्त तू जग में रहनां

माया का यह जाल अनोखा
देखो हर कोई फंसता जाए
जैसे बंदर भर मुठ्ठी में दानें
मटकी से हाथ निकाल न पाए

लालच लोभ त्याग के प्राणी
भर ले झोली जो  दे करतार
संयम सुकृत संतोष व सबुरी
और करले प्रार्थना अंगीकार

सत्य कर्म आचरण हो ऊंचा
सुंदर स्वछ जीवन तू करले
रह अलिप्त ममता माया से
बन करुणामय  भक्ती करले


रहना बच कलयुगी हवा से
देख कहीं तू भटक न जाना
कदम फूक फूक के रखना
मंजिल से मत नज़र हटाना

मार्ग कठिन है यह सत्य का
"जीत" करले इसको आसान
चलके देख कदम चार तू
मिलेंगे आगे हो भगवान्

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